Class 12 Extra questions English Flamingo Chapter 3 Deep Water by William Douglas

Class 12 Extra questions                    English Flamingo Chapter 3                                                                           Deep Water by William Douglas 1. Q: What initial event led to Douglas's fear of water?    A: Douglas's fear of water began when he was thrown into the deep end of the Y.M.C.A. pool by a bully, nearly causing him to drown.   2. Q: How did Douglas’s early experiences at the beach contribute to his fear?    A: As a child, Douglas had been knocked down by waves at a beach in California, which left him frightened of water. 3. Q: Why did Douglas decide to learn swimming despite his fear?    A: Douglas decided to learn swimming to overcome his debilitating fear and regain confidenc...

Class 12 NCERT Solutions Hindi Vitan Chapter 3 Atit main dabe panb by Om thanvi

Class 12 NCERT Solutions Hindi Vitan 

                 Chapter 3 Atit Main Dabe Panb by Om Thanvi 
    

वितान -  अध्याय - अतीत में दबे पाँव    लेखक - ओम थानवी 


1. सिंधु-सभ्यता साधन-संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था। कैसे?

Answer- सिंधु-सभ्यता को "साधन-संपन्न" माना जाता है क्योंकि इसमें सामाजिक संगठन, शिक्षा, वाणिज्य, और सांस्कृतिक उत्थान के कई पहलुओं में उन्नति हुई थी। हालांकि, इस सभ्यता में भव्यता का आडंबर नहीं था क्योंकि:


साधन-विशेषता की अभाव: सिंधु-सभ्यता के अधिकांश खंडों में महत्वपूर्ण भव्य स्थापत्यकला के अभाव को देखा जा सकता है। इसके बजाय, उनके स्थापत्य कार्यकलाओं में सरलता और सरल रूपांतरण की स्वाभाविकता थी, लेकिन उनमें भव्यता की कमी थी।

आधुनिकता की अभाव: सिंधु-सभ्यता के अधिकांश समय में आधुनिकता की शोभा के लिए महत्त्वपूर्ण उपकरणों की कमी थी। इस समय में, अंतरिक्ष यातायात के लिए उचित जंगली घास-फूस, विशेषज्ञ शिल्पकला या भव्य राजमहलों का निर्माण नहीं हुआ था।

पूजा और धार्मिक अभिष्टताओं में सरलता: सिंधु-सभ्यता में पूजा और धार्मिक अभिष्टताओं को सरलता से अभिव्यक्ति दी गई थी, लेकिन उनमें भव्यता और अत्याधुनिकता का स्पष्ट आदर्श नहीं था।

इस प्रकार, सिंधु-सभ्यता को साधन-संपन्न माना जाता है, लेकिन उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था क्योंकि उसकी सामाजिक और सांस्कृतिक रूपरेखा में भव्यता की कमी थी।


2. ‘सिंधु-सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है जो राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर समाज-पोषित
था।’ ऐसा क्यों कहा गया?

Answer- यह कथन 'सिंधु-सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है जो राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर समाज-पोषित था' इसलिए कहा गया है क्योंकि सिंधु-सभ्यता के सौंदर्य-बोध में राजनीतिक और धार्मिक प्रभाव का कम होना उसकी विशेषता थी।

समाज-पोषित सौंदर्य: सिंधु-सभ्यता की कला, स्थापत्य, और संस्कृति में व्यक्तिगत और समाजिक जीवन के परिस्थितियों का सौंदर्यिक अनुभव दिखता है। इसमें राजनीतिक और धार्मिक प्रभावों के कम होने के कारण, समाज के समृद्धि, सामाजिक संगठन, और समृद्धि के विकास को जोरदार रूप में उजागर किया जाता है।

आर्थिक और सामाजिक अनुभवों का प्रतिबिम्ब: सिंधु-सभ्यता की कला और संस्कृति में समृद्धि, आर्थिक उन्नति, और सामाजिक समृद्धि के प्रतिबिम्ब हैं। इसका सौंदर्यिक अनुभव उन सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को प्रकट करता है जो समाज के संगठन और प्रगति में हुए।

राजनीतिक और धार्मिक अभिष्टताओं की कमी: सिंधु-सभ्यता में राजनीतिक और धार्मिक प्रभाव की कमी के कारण, उसकी कला और संस्कृति में सामाजिक संगठन, आर्थिक विकास, और व्यक्तिगत समृद्धि का प्रमुख उद्देश्य रहा। इससे सिंधु-सभ्यता का सौंदर्य सामाजिक प्रकृति के अनुसार होता है और उसकी कला में समृद्धि को प्रकट करता है।

इस रूप में, सिंधु-सभ्यता की खूबी उसके सौंदर्य-बोध में उसकी सामाजिक और आर्थिक प्रगति के उदाहरण के रूप में देखी जा सकती है, जो कि राजनीतिक और धार्मिक प्रभावों के अभाव में थी।


3. पुरातत्त्व के किन चिन्हों  के आधर पर आप यह कह सकते हैं कि  "सिंधु-सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी।"

Answer- "सिंधु-सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी" कहना संभव है, क्योंकि पुरातत्त्व के विभिन्न चिन्हों के आधार पर सिंधु-सभ्यता को अनुशासित और व्यवस्थित समझा जा सकता है।

नियमित नगरीय स्थान: सिंधु-सभ्यता के उत्खनन से पाया गया है कि उनके निवास स्थल नियमित रूप से व्यवस्थित थे। यह नियमित नगरीय स्थान उनकी शासन और प्रशासनिक योजना की पुष्टि करता है।

शासन और प्रशासन की संरचना: सिंधु-सभ्यता के उत्खनन से पता चलता है कि उनके समाज में शासन और प्रशासन की संरचना थी। इसमें शहरों की योजना, सड़कों की व्यवस्था, और सामाजिक संगठन की पुष्टि होती है।

समाज के संगठन: सिंधु-सभ्यता के उत्खनन से समझा जा सकता है कि उनके समाज में व्यवस्थित जाति व्यवस्था और अधिकारों की समानता का लक्षण था। इसका सिद्धांतिक प्रमाण मिलता है।

विशेष रूप से विकसित तकनीकी और सांस्कृतिक क्षमताएं: सिंधु-सभ्यता के उत्खनन से स्थापित हुआ कि उनकी समाज संरचना में विशेष रूप से विकसित तकनीकी और सांस्कृतिक क्षमताएं थीं, जो उन्हें समृद्धि की दिशा में प्रेरित करती थीं।

इन सभी तत्वों के संघटक रूप से, सिंधु-सभ्यता को ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता के रूप में देखा जा सकता है। इसमें उनकी समृद्धि, संरचना, और सामाजिक व्यवस्था की अद्वितीयता और व्यवस्थितता का प्रमाण है।


4. ‘यह सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आप को कहीं नहीं ले जातीं | वे आकाश की तरफ़ अधूरी रह जाती हैं। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर हैं, वहाँ से आप इतिहास को नहीं उस के पार झाँक रहे हैं।’ इस कथनके पीछे लेखक का क्या आशय है?

Answer- इस कथन का आशय है कि हमारी पुरानी संस्कृतियों, इतिहास, और धरोहरों का महत्व हमेशा बना रहता है, भले ही वे व्यक्तिगत या सामाजिक स्तर पर टूटे हों। यह कथन स्थापित करता है कि हमें अपने इतिहास, संस्कृति, और धरोहरों का सम्मान करना चाहिए, चाहे वे कितनी भी छोटी या टूटी-फूटी हों। 

लेखक इस कथन के माध्यम से हमें यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि हमें अपने इतिहास, संस्कृति, और परंपराओं के प्रति समर्पित रहना चाहिए। यहाँ उनका मतलब है कि जितना हम अपने इतिहास और परंपराओं के साथ जुड़े रहेंगे, उतना ही हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को समझ पाएंगे और अपने विकास में मदद करेंगे।


5. टूटे-फटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती जिंदगियों के अनछुए समयों का भी दस्तावेज होते हैं, इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।

Answer- यह कथन हमें यह बताता है कि टूटे-फूटे खंडहर न केवल समाज, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास का हिस्सा होते हैं, बल्कि उनमें धड़कती जिंदगियों के अनछुए समयों की भी एक प्रकार की दस्तावेजी होती है। 

जब हम पुराने खंडहरों को देखते हैं, तो हमें उनके माध्यम से उस समय की जिंदगी, उनकी रोजमर्रा की गतिविधियों, उनके संघर्षों और सफलताओं का एक अनुभव होता है। इससे हमें वह समय की जिंदगी के पाठ्यक्रम के बारे में समझ मिलती है, जिसमें आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक प्रतिबिम्ब होते हैं। 

इस तरह के खंडहर हमें उस समय की अवस्था, समाज, और संस्कृति के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं, जो हमें उस समय के लोगों की जीवनी और संघर्षों के साथ जोड़ते हैं। इस तरह के खंडहर एक प्रकार की अनमोल धरोहर होते हैं जो हमें हमारे पूर्वजों के जीवन और समय की विविधता को समझने में मदद करते हैं।


6. इस पाठ में एक ऐसे स्थान का वर्णन है जिसे बहुत कम लोगों ने देखा होगा, परंतु इससे आपके
मन में उस नगर की एक तसवीर बनती है। किसी ऐसे ऐतिहासिक स्थल, जिसको आपने नजदीक
से देखा हो, का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

Answer-भानगढ़ किला भारत के राजस्थान के अलवर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है। यह भारत में सबसे प्रेतवाधित स्थानों में से एक होने के लिए प्रसिद्ध है और इसे अक्सर "भानगढ़ किला भूत शहर" के रूप में जाना जाता है। यह किला सरिस्का टाइगर रिज़र्व के किनारे पर स्थित है और हरे-भरे हरियाली से घिरा हुआ है, जो इसके डरावने वातावरण को जोड़ता है।

17वीं शताब्दी में राजा माधो सिंह द्वारा निर्मित, किला परिसर में कई महल, मंदिर और द्वार शामिल हैं, जो एक बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं। भानगढ़ किले की वास्तुकला मध्ययुगीन राजपूताना शैली का एक अच्छा उदाहरण है, जो इसकी विशाल दीवारों, जटिल नक्काशीदार स्तंभों और अलंकृत बालकनियों द्वारा विशेषता है।इसकी महाद्वार, भव्य दीवारें, और गहन वास्तुकला इसे एक महत्त्वपूर्ण और प्रतिष्ठित किला बनाती हैं।

भानगढ़ किले के अंदर अनेक प्राचीन भवन और मंदिर हैं जो उसके ऐतिहासिक महत्त्व को दर्शाते हैं। इसके विभिन्न कक्षों में अलग-अलग प्रकार की शिल्पकला का सामान्य चित्रण किया गया है, जो उस समय की धार्मिक और सांस्कृतिक धाराओं को दिखाता है। यह किला इतिहास, कला, और सांस्कृतिक विरासत के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है, और यह राजस्थान के पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ से आप प्राचीन राजपूत सम्राटों के शौर्य और विलासिता की कहानियों को अनुभव कर सकते हैं।


7. नदी, कुएँ, स्नानागार और बेजोड़ निकासी व्यवस्था को देखते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न पूछता है कि क्या हम सिंधु घाटी सभ्यता को जल-संस्कृति कह सकते हैं? आपका जवाब लेखक के पक्ष में है या विपक्ष में? तर्क दें।

Answer-इस प्रश्न का उत्तर लेते हुए, लेखक ओम थानवी का पक्ष सिंधु घाटी सभ्यता को "जल-संस्कृति" के रूप में चित्रित कर रहा है। यहाँ प्रमुखतः नदी, कुएँ, स्नानागार और बेजोड़ निकासी व्यवस्था को देखते हुए वह इस सभ्यता को जल-संस्कृति के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। इसका प्रमुख कारण है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का जीवन नदी के किनारे बसा हुआ था, जहाँ नदी के पानी के उपयोग से वे अपनी जरूरतों को पूरा करते थे। नदी के किनारे के क्षेत्रों में निर्मित कुएँ, स्नानागार, और बेजोड़ निकासी व्यवस्था इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिससे लोगों को जल संरचनाओं का सहारा मिलता था।

लेखक ओम थानवी का यह पक्ष सिंधु घाटी सभ्यता को जल-संस्कृति के प्रतिनिधित्व में देखने का पक्ष है। वे इस सभ्यता के विकास को उसके जल संसाधनों और जल-संरचनाओं के माध्यम से समझने की कोशिश कर रहे हैं।


8. सिंधु घाटी सभ्यता का कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिला है। सिर्फ अवशेषों के आधार पर ही धारणा बनाई है। इस लेख में मुअनजो-दड़ो के बारे में जो धारणा व्यक्त की गई है। क्या आपके मन में इससे कोई भिन्न धारणा या भाव भी पैदा होता है? इन संभावनाओं पर कक्षा में समूह-चर्चा करें।

Answer- सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में कोई लिखित साक्ष्य नहीं है, लेकिन उसके अवशेषों से हमें इसके बारे में काफी कुछ जानकारी मिलती है। मुअनजो-दड़ो इसी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है जहां से कई विभिन्न अवशेष मिले हैं। यहां प्राप्त अवशेषों में सिंधु घाटी सभ्यता के व्यापक आधार की पुष्टि होती है।

हालांकि, इस धारणा के अलावा, कुछ लोग शिक्षित हैं कि इस सभ्यता के बारे में और भी कुछ हो सकता है जो अभी तक हमें पता नहीं है। कुछ लोग सोचते हैं कि हमारे पास अभी भी बहुत कुछ जानने के लिए निकट के भविष्य में अधिक अध्ययन की आवश्यकता है ताकि हम सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में अधिक समझ सकें।

इस धारणा से यह भी प्रकट होता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में हमारी ज्ञान सीमा अभी तक सीमित है, और हमें इसकी व्यापक और समृद्ध धरोहर को समझने के लिए और अधिक अध्ययन और खोज की आवश्यकता है। इस प्रकार, इस धारणा से हमें सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में और अधिक उत्सुकता और अध्ययन की प्रेरणा मिलती है।


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