Class 12 Extra questions English Flamingo Chapter 3 Deep Water by William Douglas

Class 12 Extra questions                    English Flamingo Chapter 3                                                                           Deep Water by William Douglas 1. Q: What initial event led to Douglas's fear of water?    A: Douglas's fear of water began when he was thrown into the deep end of the Y.M.C.A. pool by a bully, nearly causing him to drown.   2. Q: How did Douglas’s early experiences at the beach contribute to his fear?    A: As a child, Douglas had been knocked down by waves at a beach in California, which left him frightened of water. 3. Q: Why did Douglas decide to learn swimming despite his fear?    A: Douglas decided to learn swimming to overcome his debilitating fear and regain confidenc...

Class 12 NCERT Solutions Hindi Aroha Chapter 10 Bhaktin by Mahadevi Varma भक्तिन महादेवी

 

Class 12 NCERT Solutions

      Hindi Aroha Chapter 10

           Bhaktin by Mahadevi Varma 

              आरोह -           "भक्तिन" -  महादेवी  वर्मा


पाठ के साथ-


1. भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?

उत्तर-

भक्तिन अपना वास्तविक नाम इसलिए छुपाती थी क्योंकि उसे समाज के तानों और तिरस्कार से बचना था। यह नाम उसे महादेवी  वर्मा ने उसकी भक्ति और धार्मिकता के कारण दिया ।


                                                   अथवा

 
भक्तिन ने अपना वास्तविक नाम छुपाया क्योंकि उसे अपने अतीत से बचने और समाज के तानों से बचने की आवश्यकता थी। यह नाम उसे महादेवी  वर्मा ने उसकी गहरी भक्ति और धार्मिकता के कारण दिया होगा। यह नाम उसकी पहचान का हिस्सा बन गया, जिससे वह समाज में सम्मान पा सकी और अपने दुखद अतीत से दूरी बना सकी।

                                                    

                                                   अथवा

 
भक्तिन अपना वास्तविक नाम इसलिए छुपाती थी क्योंकि उसका अतीत समाज के तानों और तिरस्कार का कारण बन सकता था। यह नाम उसे महादेवी  वर्मा ने उसकी भक्ति, धार्मिकता और ईमानदारी के कारण दिया होगा। इस नाम ने उसे एक नई पहचान और सम्मान दिया, जिससे वह अपने दुखद अतीत और समाज के नकारात्मक दृष्टिकोण से बच सकी। यह नाम उसकी पहचान का हिस्सा बन गया, जिससे वह समाज में एक सम्मानित स्थान पा सकी और अपने आत्म-सम्मान को बनाए रख सकी।



2. दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। एेसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत हैं?

उत्तर-

सभी स्त्रियाँ ऐसी नहीं होतीं। कुछ सामाजिक संरचनाओं में स्त्रियाँ एक-दूसरे पर अत्याचार करती हैं, लेकिन यह सार्वभौमिक सत्य नहीं है।

                                           अथवा         
 
मैं इस धारणा से पूरी तरह सहमत नहीं हूँ। सामाजिक संरचनाएँ और परंपराएँ कई बार स्त्रियों को एक-दूसरे के प्रति क्रूर बना देती हैं, लेकिन कई स्त्रियाँ एक-दूसरे का समर्थन और सहायता भी करती हैं। हर स्त्री का अनुभव और व्यवहार अलग होता है।
 
                                          अथवा

इस धारणा से पूरी तरह सहमत नहीं हूँ। कुछ सामाजिक संरचनाएँ और परंपराएँ स्त्रियों को एक-दूसरे के प्रति क्रूर बना सकती हैं, जैसे कि भक्तिन की स्थिति में। यह उनकी व्यक्तिगत दोष नहीं बल्कि सामाजिक दबाव का परिणाम हो सकता है। हालांकि, यह भी सत्य है कि कई स्त्रियाँ एक-दूसरे का समर्थन और सहायता करती हैं, और सामूहिक रूप से पितृसत्ता के खिलाफ संघर्ष करती हैं। हर स्त्री का अनुभव और व्यवहार अलग होता है और इसे सार्वभौमिक सत्य मानना उचित नहीं है।


3. भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा ज़बरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे?

उत्तर-

यह घटना स्त्री की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का उल्लंघन है, जो सामाजिक परंपराओं में गहराई से निहित है, जहां स्त्रियों की इच्छाओं को महत्व नहीं दिया जाता।

                                                    अथवा

भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा ज़बरन पति थोपा जाना, स्त्री की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का उल्लंघन है। यह घटना सामाजिक परंपराओं का प्रतीक है, जिसमें स्त्रियों की इच्छाओं को महत्व नहीं दिया जाता और उनके विवाह संबंधी निर्णयों पर दबाव डाला जाता है, जिससे उनकी स्वतंत्रता कुचली जाती है।

                                                     अथवा

भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा ज़बरन पति थोपा जाना केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि स्त्री के मानवाधिकारों का उल्लंघन और उनकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। इस घटना से पता चलता है कि समाज में स्त्रियों की इच्छाओं और अधिकारों को कितना कम महत्व दिया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जहां स्त्रियों को विवाह के संदर्भ में निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं होती और उनके अधिकारों को निरंतर दबाया जाता है।


4. भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं लेखिका ने एेसा क्यों कहा होगा?

उत्तर-लेखिका ने यह कहा होगा क्योंकि भक्तिन में मानवीय दुर्गुण भी हैं, जो उसे पूरी तरह से अच्छा या निर्दोष साबित नहीं करते। उसकी कमियाँ उसे वास्तविक बनाती हैं।


                                                 
अथवा

लेखिका ने कहा होगा क्योंकि भक्तिन में मानवीय दुर्गुण भी हैं, जो उसे पूरी तरह से अच्छा या निर्दोष साबित नहीं करते। उसकी कमियाँ और गलतियाँ उसे वास्तविक और इंसानी बनाती हैं, जिससे पाठक उसके संघर्षों और निर्णयों को समझ सकते हैं।
 
                                               अथवा

लेखिका ने यह कहा होगा क्योंकि भक्तिन में मानवीय दुर्गुण भी हैं, जो उसे पूरी तरह से अच्छा या निर्दोष साबित नहीं करते। उसकी कमियाँ और गलतियाँ उसे वास्तविक और इंसानी बनाती हैं। यह उसे एक जटिल और बहुआयामी चरित्र बनाती है, जिससे पाठक उसके संघर्षों, कमजोरियों और निर्णयों को समझ सकते हैं। इससे उसकी कहानी अधिक प्रामाणिक और संबंधित बन जाती है, और पाठक उसे एक आदर्श नहीं, बल्कि एक सामान्य इंसान के रूप में देखते हैं।


5. भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?

उत्तर-भक्तिन ने शास्त्रों के सवाल को सरलता से हल करते हुए व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किए। उसने धार्मिक और सामाजिक मुद्दों को अपने जीवन के अनुभवों से जोड़कर समाधान खोजा।

                                                   अथवा

लेखिका ने उदाहरण दिया है कि भक्तिन ने शास्त्रों के सवालों को सरलता से हल करते हुए व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किए। उसने धार्मिक और सामाजिक मुद्दों को अपने जीवन के अनुभवों से जोड़कर समाधान खोजा। यह दिखाता है कि वह शास्त्रीय ज्ञान और जीवन के अनुभवों का सामंजस्य स्थापित कर सकती थी।

                                                अथवा

लेखिका ने उदाहरण दिया है कि भक्तिन ने शास्त्रों के सवालों को सरलता से हल करते हुए व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किए। उसने धार्मिक और सामाजिक मुद्दों को अपने जीवन के अनुभवों से जोड़कर समाधान खोजा। इससे पता चलता है कि वह शास्त्रीय ज्ञान और जीवन के अनुभवों का सामंजस्य स्थापित कर सकती थी। भक्तिन ने अपने व्यवहारिक दृष्टिकोण और बुद्धिमत्ता से शास्त्रों के जटिल प्रश्नों को भी सरलता से समझ लिया, जिससे उसकी प्रज्ञा और व्यावहारिकता का पता चलता है।


6. भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गईं?

उत्तर- भक्तिन के आने से महादेवी की भाषा, व्यवहार और रहन-सहन में ग्रामीणता बढ़ी, क्योंकि भक्तिन का प्रभाव उनके जीवन में गहराई से महसूस किया गया।

                                                अथवा

भक्तिन के आने से महादेवी की भाषा, व्यवहार और रहन-सहन में ग्रामीणता बढ़ी। भक्तिन का प्रभाव उनके जीवन में गहराई से महसूस हुआ, जिससे महादेवी की सोच और क्रियाकलापों में भी ग्रामीणता का समावेश हो गया। उनकी जीवनशैली पर भक्तिन का प्रभाव स्पष्ट था।

                                               अथवा

भक्तिन के आने से महादेवी की भाषा, व्यवहार और रहन-सहन में ग्रामीणता बढ़ी। भक्तिन का प्रभाव उनके जीवन में गहराई से महसूस हुआ, जिससे महादेवी की सोच और क्रियाकलापों में भी ग्रामीणता का समावेश हो गया। उनकी जीवनशैली पर भक्तिन का प्रभाव स्पष्ट था। महादेवी ने भक्तिन के साथ बिताए समय में उसकी देहाती जीवनशैली और दृष्टिकोण को अपनाया, जिससे उनकी अपनी पहचान और आदतों में भी ग्रामीण तत्व आ गए, उन्हें अधिक देहाती बना दिया।


पाठ के आसपास-  

1. आलो आँधारि की नायिका और लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?

उत्तर-  बेबी हालदार और भक्तिन दोनों ही कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए मजबूत और स्वतंत्र बनीं। वे समाज के नकारात्मक दबावों से लड़कर आत्म-सम्मान और स्वाभिमान से जियीं।

                                             अथवा

  
बेबी हालदार और भक्तिन दोनों ने कठिनाइयों और समाज के नकारात्मक दबावों का सामना करते हुए अपनी पहचान बनाई। वे विपरीत परिस्थितियों में भी आत्म-सम्मान और स्वाभिमान से जियीं। उनके संघर्ष और साहस ने उन्हें मजबूत और स्वतंत्र व्यक्तित्व बनाया, जो सामाजिक रूढ़ियों के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है।

                                             अथवा

 
बेबी हालदार और भक्तिन दोनों ने कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए अपनी पहचान और सम्मान को बनाए रखा। बेबी हालदार ने अपने जीवन के संघर्षों को "आलो आँधारि" में लेखनीबद्ध किया, जबकि भक्तिन ने सामाजिक दबावों और तिरस्कार के बावजूद अपनी धार्मिकता और ईमानदारी से अपनी पहचान बनाई। दोनों ने विपरीत परिस्थितियों में भी आत्म-सम्मान और स्वाभिमान से जीवन जिया। उनके संघर्ष और साहस ने उन्हें मजबूत और स्वतंत्र व्यक्तित्व बनाया, जो सामाजिक रूढ़ियों के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है और महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाता है।


3. भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फ़ैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है। अखबारों या टी. वी. समाचारों में आनेवाली किसी एेसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।

उत्तर- आज भी पंचायतें महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन करती हैं। हाल ही में, हरियाणा की एक पंचायत ने एक महिला को जबरन शादी के लिए मजबूर किया, जो भक्तिन की बेटी की स्थिति जैसी ही है।

                                                           अथवा
 
भक्तिन की बेटी की तरह, हरियाणा में हाल ही में एक पंचायत ने एक महिला को जबरन शादी के लिए मजबूर किया। यह घटना आज भी महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन दिखाती है। पंचायतें सामाजिक परंपराओं के नाम पर महिलाओं की स्वतंत्रता को कुचलती हैं, जिससे उनकी स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का हनन होता है। यह समस्या समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी है और इसे समाप्त करने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

                                         अथवा

भक्तिन की बेटी की तरह, हरियाणा में हाल ही में एक पंचायत ने एक महिला को जबरन शादी के लिए मजबूर किया। यह घटना आज भी महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन और उनकी स्वतंत्रता को कुचलने वाली सामाजिक परंपराओं का प्रतीक है। पंचायतें सामाजिक परंपराओं के नाम पर महिलाओं की स्वतंत्रता को कुचलती हैं, जिससे उनकी स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का हनन होता है। यह समस्या समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी है और इसे समाप्त करने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है। पंचायतों के ऐसे निर्णय महिलाओं के प्रति असमानता और भेदभाव को बढ़ावा देते हैं, जिससे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा आवश्यक है।


4. पाँच वर्ष की वय में ब्याही जानेवाली लड़कियों में सिर्फ़ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं। बाल-विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें।

उत्तर- बाल-विवाह और उम्र के अनमेल विवाह आज भी प्रचलित हैं। दोस्तों के साथ चर्चा करें कि कैसे शिक्षा, कानूनी उपाय और सामाजिक जागरूकता से इस समस्या को हल किया जा सकता है।

                                                अथवा

बाल-विवाह और उम्र के अनमेल विवाह आज भी कई जगह प्रचलित हैं। दोस्तों के साथ चर्चा करें कि कैसे शिक्षा, कानूनी उपाय और सामाजिक जागरूकता से इस समस्या को हल किया जा सकता है। समाज में जागरूकता बढ़ाने और बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता देने से इन कुप्रथाओं को रोका जा सकता है, जिससे लड़कियों को उनके अधिकार और स्वतंत्रता मिल सकें।

                                                  अथवा

बाल-विवाह और उम्र के अनमेल विवाह आज भी कई जगह प्रचलित हैं। दोस्तों के साथ चर्चा करें कि कैसे शिक्षा, कानूनी उपाय और सामाजिक जागरूकता से इस समस्या को हल किया जा सकता है। समाज में जागरूकता बढ़ाने, बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता देने और कानूनी सख्ती से इन कुप्रथाओं को रोका जा सकता है। इसके अलावा, समुदाय के नेताओं और परिवारों को भी इस मुद्दे पर संवेदनशील बनाना आवश्यक है, ताकि लड़कियों को उनके अधिकार और स्वतंत्रता मिल सकें और वे अपने भविष्य को सुरक्षित और सशक्त बना सकें।


5. महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता बसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूँढ़कर पढ़ें। जो मेरा परिवार नाम से प्रकाशित है।

उत्तर- 



भाषा की बात-


1. नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा-प्रयोगों के उदाहरणों को ध्यान से पढ़िए और इनकी अर्थ-छवि स्पष्ट कीजिए-
(क) पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले
(ख) खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी
(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण

उत्तर- 

(क) पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले:
   - अर्थ: इस वाक्य में 'कन्या' का मतलब बेटी से है और 'संस्करण' का मतलब है पुनरावृत्ति या प्रतिलिपि। इस वाक्य का तात्पर्य है कि पहली बेटी के बाद दो और बेटियाँ पैदा हुईं।
   - छवि: एक पुस्तक के विभिन्न संस्करणों की तरह, एक ही प्रकार की तीन बेटियाँ होने का चित्रण किया गया है।
(ख) खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी:
   - अर्थ: इस वाक्य में 'खोटे सिक्के' का मतलब बेकार या अविश्वसनीय चीजों से है और 'टकसाल' का मतलब है जहाँ सिक्के बनते हैं। यहाँ पत्नी का तात्पर्य है जो बहुत सी बेकार या अविश्वसनीय चीजें पैदा करती है।
   - छवि: एक ऐसी पत्नी की छवि जो लगातार समस्याएं या अविश्वसनीय चीजें पैदा करती है।
(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण:
   - अर्थ: 'अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ' का मतलब है स्पष्ट न दिखाई देने वाले या समझ न आने वाले बार-बार होने वाले कार्य। 'स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण' का मतलब है स्पष्ट रूप से दया या संवेदना दिखाना।
   - छवि: अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ एक धुंधली छवि देती हैं, जबकि स्पष्ट सहानुभूति एक स्पष्ट और सजीव तस्वीर पेश करती है।


2. ‘बहनोई’ शब्द ‘बहन (स्त्री.)+ओई’ से बना है। इस शब्द में हिंदी भाषा की एक अनन्य विशेषता प्रकट हुई है। पुंलिंग शब्दों में कुछ स्त्री-प्रत्यय जोड़ने से स्त्रीलिंग शब्द बनने की एक समान प्रक्रिया कई भाषाओं में दिखती है, पर स्त्रीलिंग शब्द में कुछ पुं. प्रत्यय जोड़कर पुंलिंग शब्द बनाने की घटना प्रायः अन्य भाषाओं में दिखलाई नहीं पड़ती। यहाँ पुं. प्रत्यय ‘ओई’ हिंदी की अपनी विशेषता है। एेसे कुछ और शब्द और उनमें लगे पुं. प्रत्ययों की हिंदी तथा और भाषाओं में खोज करें।

उत्तर- - ननदोई: ननद (स्त्री) + ओई = ननदोई (ननद का पति)

         - ससुर: सास (स्त्री) + उर = ससुर (पति का पिता)
          - साली-साढ़ू: साली (स्त्री) + साढ़ू = साली का पति

इन उदाहरणों में, हिंदी की विशेषता यह है कि स्त्रीलिंग शब्दों में पुंलिंग प्रत्यय जोड़कर नए पुंलिंग शब्द बनाए जाते हैं।


3. पाठ में आए लोकभाषा के इन संवादों को समझ कर इन्हें खड़ी बोली हिंदी में ढाल कर प्रस्तुत कीजिए।
(क) ई कउन बड़ी बात आय। रोटी बनाय जानित है, दाल राँध लेइत है, साग-भाजी छँउक सकित है, अउर बाकी का रहा।
(ख) हमारे मालकिन तौ रात-दिन कितबियन माँ गड़ी रहती हैं। अब हमहूँ पढ़ै लागब तो घर-गिरिस्ती कउन देखी-सुनी।
(ग) ऊ बिचरिअउ तौ रात-दिन काम माँ झुकी रहती हैं, अउर तुम पचै घूमती-फिरती हौ, चलौ तनिक हाथ बटाय लेउ।
(घ) तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना–बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।
(ङ) तुम पचै का का बताईयहै पचास बरिस से संग रहित है।
(च) हम कुकुरी बिलारी न होयँ, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहिं त तुम्हार पचै की छाती पै होरहा भूँँजब और राज करब, समुझे रहौ।

उत्तर- (क) ई कउन बड़ी बात आय। रोटी बनाय जानित है, दाल राँध लेइत है, साग-भाजी छँउक सकित है, अउर बाकी का रहा।

   - यह कौन सी बड़ी बात है। रोटी बनाना जानती है, दाल पका लेती है, साग-भाजी छौंक सकती है, और क्या बचा?

(ख) हमारे मालकिन तौ रात-दिन कितबियन माँ गड़ी रहती हैं। अब हमहूँ पढ़ै लागब तो घर-गिरिस्ती कउन देखी-सुनी।
   - हमारी मालकिन तो रात-दिन किताबों में गड़ी रहती हैं। अब अगर मैं भी पढ़ने लगूं तो घर-गृहस्थी कौन देखेगा?

(ग) ऊ बिचरिअउ तौ रात-दिन काम माँ झुकी रहती हैं, अउर तुम पचै घूमती-फिरती हौ, चलौ तनिक हाथ बटाय लेउ।
   - वह बेचारी तो रात-दिन काम में लगी रहती है, और तुम लोग घूमती-फिरती हो, चलो थोड़ी मदद कर दो।

(घ) तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना–बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।
   - तब वह कुछ नहीं करेंगे–सिर्फ गली-गली घूमते-बजाते फिरेंगे।

(ङ) तुम पचै का का बताईयहै पचास बरिस से संग रहित है।
   - आप लोग क्या-क्या बताएंगे, पचास साल से साथ रहते हैं।

(च) हम कुकुरी बिलारी न होयँ, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहिं त तुम्हार पचै की छाती पै होरहा भूँँजब और राज करब, समुझे रहौ।
   - हम कुत्ता-बिल्ली नहीं हैं, हमारा मन पसंद आया तो हम दूसरी जगह जाएंगे नहीं तो तुम्हारे ऊपर ही राज करेंगे, समझे?



4. भक्तिन पाठ में पहली कन्या के दो संस्करण जैसे प्रयोग लेखिका के खास भाषाई संस्कार की पहचान कराता है, साथ ही ये प्रयोग कथ्य को संप्रेषणीय बनाने में भी मददगार हैं। वर्तमान हिंदी में भी कुछ अन्य प्रकार की शब्दावली समाहित हुई है। नीचे कुछ वाक्य दिए जा रहे हैं जिससे वक्ता की खास पसंद का पता चलता है। आप वाक्य पढ़कर बताएँ कि इनमें किन तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ है? इन शब्दावलियों या इनके अतिरिक्त अन्य किन्हीं विशेष शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए आप भी कुछ वाक्य बनाएँ और कक्षा में चर्चा करें कि एेसे प्रयोग भाषा की समृद्धि में कहाँ तक सहायक है?

उत्तर- नीचे दिए गए वाक्यों में तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ है: अंग्रेजी शब्दों का मिश्रण, तकनीकी शब्दावली और आधुनिक मुहावरों का उपयोग।
उदाहरण:
   - अंग्रेजी शब्दों का मिश्रण: "मैंने आज एक नया प्रोजेक्ट स्टार्ट किया है।"
   - तकनीकी शब्दावली: "हमारे वेब डेवलपमेंट टीम ने नया एल्गोरिथ्म तैयार किया है।"
   - आधुनिक मुहावरों का उपयोग: "इस इवेंट ने तो चार चांद लगा दिए।"


नई शब्दावली का उपयोग करके वाक्य:
   - "हमारी मीटिंग का एजेंडा काफी क्रूशियल था।"
   - "उसकी प्रेजेंटेशन ने पूरे ऑडियंस को इंप्रेस कर दिया।"
   - "नई टेक्नोलॉजी के चलते हमारा वर्कफ्लो काफी स्मूथ हो गया है।"

इन प्रयोगों पर चर्चा करते हुए हम देख सकते हैं कि भाषा में नई शब्दावलियों का सम्मिलन इसे अधिक समृद्ध और आधुनिक बनाता है। इससे संप्रेषण की शक्ति बढ़ती है और यह नई पीढ़ी के लिए भाषा को अधिक प्रासंगिक बनाता है।






Comments

Popular posts from this blog

Class 12 Extra questions English Flamingo Chapter 3 Deep Water by William Douglas

Class 12 Extra questions English Flamingo Chapter 4 The Rattrap by Selma Lagerlöf

करियर में आगे क्या करना है ???