Class 12 Extra questions English Flamingo Chapter 3 Deep Water by William Douglas

Class 12 Extra questions                    English Flamingo Chapter 3                                                                           Deep Water by William Douglas 1. Q: What initial event led to Douglas's fear of water?    A: Douglas's fear of water began when he was thrown into the deep end of the Y.M.C.A. pool by a bully, nearly causing him to drown.   2. Q: How did Douglas’s early experiences at the beach contribute to his fear?    A: As a child, Douglas had been knocked down by waves at a beach in California, which left him frightened of water. 3. Q: Why did Douglas decide to learn swimming despite his fear?    A: Douglas decided to learn swimming to overcome his debilitating fear and regain confidenc...

Class 12 NCERT Solutions Hindi Aroha Chapter 5 Saharsh svikara hai by gajanan madhav muktibodh

 Class 12 NCERT Solutions Hindi Aroha 
   

   Chapter 5  Saharsh svikara hai by Gajanan madhav muktibodh
    

आरोह -   अध्याय -  "सहर्ष स्वीकारा है" लेखक - "गजानन माधव मुक्तिबोध" 


      (अध्याय -  "सहर्ष स्वीकारा है" लेखक - "गजानन माधव मुक्तिबोध")


कविता के साथ- 
1. टिप्पणी कीजिए; गरबीली गरीबी, भीतर की सरिता, बहलाती सहलाती आत्मीयता, ममता के बादल ।

Answer-यह शब्दचित्र समाज में गरीबी के अनुभव को एक विशेष तरीके से व्यक्त करता है। गरीबी का अनुभव अक्सर एक समुद्र की भांति होता है, जिसमें व्यक्ति को अपने आत्मा के समुद्र के साथ लड़ना पड़ता है। यहां गरीबी को भीतर की सरिता के रूप में व्यक्त किया गया है, जो उसके भीतर की समृद्धि के स्रोत के रूप में कार्य करती है। इस चित्र में, गरीबी के अनुभव को ममता और सहानुभूति के बादलों के रूप में व्यक्त किया गया है, जो उसे आत्मीयता और सहलाता की अनुभूति कराते हैं। इस संदर्भ में, गरीबी का अनुभव सिर्फ आर्थिक अभाव की सीमा से परे है, और उसमें आत्मा की समृद्धि और ऊर्जा की खोज होती है।

2. इस कविता में और भी टिप्पणी-योग्य पद-प्रयोग हैं। एेसे किसी एक प्रयोग का अपनी ओर से उल्लेख कर उस पर टिप्पणी करें। 

Answer-कविता में पद-प्रयोग का एक अद्वितीय प्रयोग है "बहलाती सहलाती"। यह प्रयोग अद्वितीय है क्योंकि यह विशेष रूप से शब्दों के विचार और उनके अर्थ को साझा करता है। "बहलाती सहलाती" का प्रयोग आत्मीयता के अनुभव को साझा करने के लिए किया गया है। यह शब्द आत्मा की उत्तेजना, सुख, और समृद्धि के साथ जुड़ा होता है। इस प्रयोग के माध्यम से, कवि आत्मा के संवेदनशील दृष्टिकोण को प्रकट करते हैं और समृद्धि की खोज में अपनी प्रेरणा को बयां करते हैं।

इस प्रयोग में आत्मीयता और संवेदनशीलता के भाव को सुधारते हुए कवि अपने पाठकों के दिलों में संवेदना और संबंध उत्पन्न करते हैं। इस तरह का पद-प्रयोग कविता को गहराई और संवेदनशीलता का आभास कराता है।

3. व्याख्या कीजिए
 जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है
 जितना भी उँड़ेलता हूँ, भर-भर फिर आता है
 दिल में क्या झरना है?
 मीठे पानी का सोता है
 भीतर वह, ऊपर तुम
 मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर
 मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है!
उपर्युक्त पंक्तियों की व्याख्या करते हुए यह बताइए कि यहाँ चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अंधकार-अमावस्या में नहाने की बात क्यों की गई है?

Answer-यह पंक्तियाँ आत्मा के अनुभव को दर्शाती हैं, जो आत्मिक संबंध को चाँद के प्रति प्रेम के साथ उत्कृष्टता के साथ व्यक्त करती हैं। चाँद का साथ दिन की समाप्ति के साथ होता है, और उसका चेहरा हमेशा नए आशा और उत्साह के साथ उभरता है।

इस पंक्ति में, कवि अपने प्रेमी के चेहरे की तुलना चाँद से करते हैं, जिसमें वह अपने प्रेम की सुंदरता और प्रकाश को देखते हैं। वे उन्हें उँचाई पर रखते हैं, उनके प्रेम की चमक को आसमान में चाँद के साथ तुलना करते हैं।

इस पंक्ति में उल्लेख किया गया है, "जितना भी उँड़ेलता हूँ, भर-भर फिर आता है" और "मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है"। यह दोनों पंक्तियाँ प्रेमी के प्रति अतीत, वर्तमान और भविष्य की भावना को दर्शाती हैं। यह उनकी प्रेमी के साथ संबंध की दृढ़ता और निष्ठा को प्रकट करती है।

इस प्रेम के संबंध में, उन्होंने आत्मा को अंधकार-अमावस्या के समय में चाँद की तरह नहाते हुए दिखाया है। इससे यह भी साबित होता है कि उनका प्रेम और संबंध किसी भी परिस्थिति में स्थिर और प्रकाशमय हैं, चाहे वह सुख के समय में हो या दुःख के।

4. तुम्हें भूल जाने की
दक्षिण ध्रुवी अंधकार-अमावस्या
शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पा लूँ मैं
झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं
इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित
रहने का रमणीय यह उजेला अब
सहा नहीं जाता है।

(क) यहाँ अंधकार-अमावस्या के लिए क्या विशेषण इस्तेमाल किया गया है और उससे विशेष्य में क्या अर्थ जुड़ता है?
Answer- यहाँ अंधकार-अमावस्या के लिए "दक्षिण ध्रुवी" विशेषण का उपयोग किया गया है। "दक्षिण ध्रुवी" शब्द का उपयोग इस अंधकार-अमावस्या को विशेषतः गहराई और शोक के साथ संबोधित करने के लिए किया गया है। यह शब्द अंधकार की गहराई और आवृत्ति को दर्शाता है, जिसमें कोई भी प्रकाश नहीं होता है, और जो एक अंधकार की तरह दिखाई नहीं देता।

(ख) कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में किस स्थिति को अमावस्या कहा है?
Answer-कवि ने अपने व्यक्तिगत संदर्भ में "तुम्हें भूल जाने की" स्थिति को अमावस्या कहा है। यहाँ "तुम" किसी अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति को संदर्भित कर रहा है, जिसे कवि भूल जाने की चाहता है। इसके माध्यम से कवि अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं जो अंधकार-अमावस्या की तरह अँधेरे और उदास महसूस हो रही हैं।

(ग) इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरने वाली कौन-सी स्थिति कविता में व्यक्त हुई है? इस वैपरीत्य को व्यक्त करने वाले शब्द का व्याख्यापूर्वक उल्लेख करें।
Answer-इस कविता में, एक विपरीत स्थिति व्यक्त की गई है, जो अंधकार-अमावस्या के साथ संबंधित नहीं है। वह स्थिति है जब "चेहरे पर, अंतर में पा लूँ मैं" और "उसी में नहा लूँ मैं"। यहाँ कवि अपने अंतर्निहित और बाहरी स्वरूप को संदर्भित कर रहे हैं, जिसमें वह अपने आत्मा के साथ एकता का अनुभव करते हैं।

(घ) कवि अपने संबोध्य (जिसको कविता संबोधित है कविता का ‘तुम’) को पूरी तरह भूल जाना चाहता है, इस बात को प्रभावी तरीके से व्यक्त करने के लिए क्या युक्ति अपनाई है? रेखांकित अंशों को ध्यान में रखकर उत्तर दें।
Answer-कवि ने यहाँ "तुम्हें भूल जाने की" स्थिति को प्रभावी तरीके से व्यक्त करने के लिए उसी स्थिति की तुलना अंधकार-अमावस्या से की है। यहाँ कवि ने अपनी भावनाओं को अंधकार-अमावस्या की अनुपस्थिति में तुलना करके दिखाया है कि उसे तुम्हें भूल जाने की अवस्था में कैसा दुःख हो रहा है। यह उनकी भावनाओं को और भी प्रभावी बनाता है, और पाठक को उनके दुःख का संवेदन कराता है।

5. बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है– और कविता के शीर्षक सहर्ष स्वीकारा है में आप कैसे अंतर्विरोध पाते हैं। चर्चा कीजिए।
Answer-"बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है" यह पंक्ति कविता के मुख्य धाराओं में से एक है, जो आत्मीयता के महत्व को उजागर करती है। इस पंक्ति में, कवि आत्मीयता के अस्थायी और अनिश्चित स्वरूप को उजागर करते हैं, जिसमें उसे बहलाते और सहलाते भावों का सामना करना पड़ता है। 

कविता के शीर्षक "सहर्ष स्वीकारा है" भी इस विरोध को सुझाता है। "सहर्ष स्वीकारा है" का मतलब है कि व्यक्ति आत्मीयता को खुले मन से स्वीकारता है, जैसे कि वह है और जैसा कि उसे होना चाहिए। यह कविता में विरोधाभास का एक रूप है, जिसमें कवि आत्मीयता के साथ जूझ रहा है, लेकिन उसे स्वीकारने के लिए तैयार है। 

इस अंतर्विरोध को समझने के लिए, हमें कविता के अन्य हिस्सों के साथ इस पंक्ति का संदर्भ लेना चाहिए। कवि कविता में आत्मीयता के महत्व को उजागर करते हैं, जो स्वीकार और ध्यान की आवश्यकता को संज्ञान में लेता है। इस प्रकार, "सहर्ष स्वीकारा है" शीर्षक एक प्रकार का परिनाम भी है, जो कवि को अपनी आत्मीयता के साथ सहर्ष स्वीकार करने की अपील करता है। 

इस प्रकार, कविता के शीर्षक और इस पंक्ति के मध्य में अंतर्विरोध है, जो आत्मीयता के महत्व को उजागर करता है, लेकिन उसके साथ ही उसकी अस्थायी और अनिश्चितता को भी दर्शाता है।


कविता के आसपास
1. अतिशय मोह भी क्या त्रास का कारक है? माँ का दूध छूटने का कष्ट जैसे एक ज़रूरी कष्ट है, वैसे ही कुछ और ज़रूरी कष्टों की सूची बनाएँ।
Answer-अतिशय मोह कई कष्टों का कारक हो सकता है। यहाँ कुछ और जरूरी कष्टों की सूची है जो मोह के अतिशय के संबंध में हो सकते हैं:

स्वतंत्रता की कष्ट: मोह में फंसने से व्यक्ति को आत्मसमर्पण और स्वतंत्रता की कठिनाई हो सकती है। वह अपने अधिकारों और स्वतंत्रता की प्रतिबंधन में फंस सकता है।

संबंधों का अस्थायित्व: अतिशय मोह से व्यक्ति को संबंधों की साझेदारी और विश्वासघात का सामना करना पड़ सकता है। यह संबंध अस्थायी होते हैं और समय के साथ टूट सकते हैं, जिससे दुख होता है।

आत्म-संवेदना की हानि: अतिशय मोह से व्यक्ति अपनी आत्म-संवेदना खो सकता है, जिससे उसका आत्मविश्वास कम होता है और वह खुद को गिरते हुए महसूस करता है।

सामाजिक दूरी: अतिशय मोह से व्यक्ति को अपने परिवार और सामाजिक संबंधों से दूरी महसूस हो सकती है, जिससे उसका अकेलापन और उदासीनता में वृद्धि हो सकती है।

इन सभी कष्टों का संबंध मोह के अतिशय स्थिति से होता है, जो व्यक्ति को उसके प्रिय वस्तु या व्यक्ति के प्रति अत्यधिक आसक्ति में डाल सकता है। ये कष्ट व्यक्ति के जीवन में अनिवार्य रूप से उत्पन्न होते हैं और उसे दुखी बना सकते हैं।

3. ‘प्रेरणा’ शब्द पर सोचिए और उसके महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए जीवन के वे प्रसंग याद कीजिए जब माता-पिता, दीदी-भैया, शिक्षक या कोई महापुरुषमहानारी आपके अँधेरे क्षणों में प्रकाश भर गए।
Answer-'प्रेरणा' एक शक्तिशाली शब्द है जो हमें उत्साहित करता है, हमें अग्रसर करता है और हमें अपने लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। यह किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है, चाहे वह शिक्षा, कार्यक्षेत्र, या व्यक्तिगत विकास हो।

मेरे जीवन में, कई बार मेरे प्रियजन और गुरुजनों ने मुझे मेरे अंधेरे क्षणों में प्रेरित किया है। एक ऐसा प्रसंग याद आता है जब मेरे पिताजी ने मुझे मेरे एक कठिन समय में सहारा दिया।

जब मैं अपनी पढ़ाई के दौरान बहुत असमर्थ महसूस कर रहा था और निराश हो चुका था, तब मेरे पिताजी ने मुझे प्रेरित किया। वे मुझे साहस दिया कि मैं सक्षम हूँ, कि मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता हूँ, और उन्होंने मुझे हमेशा साथ खड़ा रहने का आश्वासन दिया।

उनके शब्दों और साथीत्व के कारण, मैंने अपने कठिनाईयों का सामना किया, मेहनत और निरंतरता से काम किया, और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। उन्होंने मुझे उस अंधकार से निकाला जो मेरे मन को कब्ज़ा कर रहा था, और मेरे जीवन को प्रकाशमय और उत्साहपूर्ण बनाया।

इस प्रकार, मेरे पिताजी ने मेरे अँधेरे क्षणों में प्रकाश भर दिया और मुझे प्रेरित किया कि मैं सफलता की ओर बढ़ूं। उनकी प्रेरणा ने मुझे नये सपनों की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और मुझे सहारा दिया। इस घटना ने मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण सीख दी कि प्रेरणा किसी भी कठिनाई को पार करने में मदद कर सकती है और हमें अपने लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकती है।

4. ‘भय’ शब्द पर सोचिए। सोचिए कि मन में किन-किन चीज़ों का भय बैठा है? उससे निबटने के लिए आप क्या करते हैं और कवि की मनःस्थिति से अपनी मनःस्थिति की तुलना कीजिए।

Answer-'भय' एक प्राकृतिक रूप से मानव मन में स्थित होने वाला एक प्रमुख भाव है जो हमें खतरे और आतंक से सावधान रहने के लिए प्रेरित करता है। मन में भय का संज्ञान विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे कि अनजाने की भयंकरता, अस्थिरता के भय, विफलता के भय, सामाजिक या आर्थिक परिस्थितियों के भय आदि।

अपने भयों का सामना करने के लिए मैं अक्सर निम्नलिखित कार्रवाई करता हूँ:

ध्यान और प्रार्थना: मैं ध्यान और मेधावीय कार्यक्रमों के माध्यम से अपने मन को शांत करता हूँ। ध्यान और प्रार्थना मेरे भय को कम करने और सामान्यता के साथ सामना करने में मदद करते हैं।

स्वास्थ्यप्रद आदतें: मैं नियमित व्यायाम करता हूँ, ध्यान करता हूँ और स्वस्थ आहार का सेवन करता हूँ। एक स्वस्थ जीवनशैली मुझे मानसिक रूप से मजबूत बनाती है और भय को कम करने में मदद करती है।

अध्ययन और ज्ञान प्राप्ति: मैं अपने भय के कारणों का अध्ययन करता हूँ और उन्हें समझने का प्रयास करता हूँ। ज्ञान प्राप्ति मेरे भय को दूर करने में मदद करती है और स्वयं को सामने आने के लिए तैयार करती है।

कवि की मनःस्थिति से तुलना करते हुए, उनके मन में भय का अनुभव किया गया हो सकता है, जैसे कि आत्म-जागरूकता की कमी, विश्वास की कमी या सामाजिक दबाव का अनुभव। कवि के भयों को दर्शाने का उद्देश्य उनके अंदर के विचारों, भावनाओं, और अनुभवों का अध्ययन करना हो सकता है ताकि हम समझ सकें कि उनका भय किसके लिए, कैसे और क्यों है, और वे अपने भय के साथ कैसे निपटते हैं।



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